Table of Contents
छत्तीसगढ़ में बनेगा एनसीआर की तर्ज पर स्टेट कैपिटल रीजन (state capital region chhattisgarh)
छत्तीसगढ़ में नवगठित सरकार ने राजधानी रायपुर से लगे आसपास के क्षेत्र को मिलाकर “स्टेट कैपिटल रीजन”(SCR) बनाने का फैसला किया है। छत्तीसगढ़ सरकार की यह नई योजना को भारतीय जनता पार्टी के द्वारा विधानसभा चुनाव २०२३ के घोषणा पत्र में एक वादे के रुप में शामिल किया गया था। भाजपा के चुनावी नारे “हमने बनाया है,हम ही सवारेंगे” को साकार करते हुए एक और “मोदी की गारंटी ” को पूरा किया जा रहा है। जिस प्रकार देश में “नेशनल कैपिटल रीजन”(एनसीआर) एक उदाहरण के रुप में देखा जाता है, उसी प्रकार राजधानी रायपुर तथा आसपास के क्षेत्र को विकसित करने की योजना है। वर्ष २००० में भारतीय जनता पार्टी नीत केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण किया था। पिछले २३ वर्षों में विकास के अनेक कार्य हुए जिससे छत्तीसगढ़ को एक नई पहचान मिली। छत्तीसगढ़ अपने साथ निर्मित अन्य राज्य झारखण्ड तथा उत्तराखंड से विकास के मामले में कहीं आगे निकल चुका है। आने वाले वर्ष में छत्तीसगढ़ अपने निर्माण के रजत जयंती वर्ष में प्रवेश कर जायेगा अतः स्टेट कैपिटल रीजन जैसी योजना छत्तीसगढ़ में विकास की एक नई कहानी लिखेगा।
SCR योजना का स्वरुप :
यह योजना राजधानी रायपुर, नवा रायपुर, भिलाई तथा दुर्ग को मिलाकर बनाई जाएगी। इस योजना से इन क्षेत्रों को एक नई पहचान मिलेगी जिसे स्टेट कैपिटल रीजन कहा जायेगा। यह योजना भाजपा के घोषणा पत्र का बहुत ही महत्वपूर्ण वादा था। योजना का उद्देश्य स्टेट कैपिटल रीजन में शामिल सभी क्षेत्रों का संतुलित तथा समन्वित विकास करना है। इससे इन क्षेत्रों के एकीकृत विकास को बढ़ावा मिलेगा। स्टेट कैपिटल रीजन बनने से छत्तीसगढ़ का यह मध्य भाग विकास के इंजन के रुप में कार्य करेगा।
SCR योजना में शामिल शहरों का परिचय :
१.नवा रायपुर : नवा रायपुर छत्तीसगढ़ प्रदेश की नई राजधानी क्षेत्र कहलाता है। इस शहर का पूरा नाम “अटल नगर नवा रायपुर” है। यह स्मार्ट सिटी योजना में शामिल है। नवा रायपुर देश की सबसे आधुनिक योजनाबद्ध शहर के रुप में जाना जाता है। यहाँ की चौड़ी सपाट सड़कें ,अंडरग्राउंड ड्रेनेज,अंडरग्राउंड केबल सिस्टम,ग्रीन बिल्डिंग तथा सुनियोजित यातायात एवं बाजार निर्माण पुरे देश में अद्वितीय है। आईएएस शहर को विश्व के प्रमुख शहरों तथा आधुनिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर योजनाबद्ध तरीके से बनाया गया है। इसे “भविष्य का शहर ” भी कहा जाता है। यह “देश का एकमात्र शहर” है (रायपुर को मिलाकर )जहाँ एनआईटी ,आईआईएम,आईआईआईटी,एम्स जैसे संस्थान एक ही शहर में हों।यहाँ स्थित शहीद वीरनारायण सिंह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम देश का तीसरा सबसे बड़ा स्टेडियम है। यहाँ का जंगल सफारी एशिया का सबसे बड़ा मानव निर्मित जंगल सफारी है। नवा रायपुर में छत्तीसगढ़ का मंत्रालय तथा संचालनालय वर्ष २०१२ से संचालित है। यहाँ की अन्य पहचान -हिदायतुल्ला राष्ट्रिय विधि विश्वविद्यालय ,इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर,मुक्तांगन,बीआरटीस कॉरिडोर,सेंट्रल बिज़नेस डिस्ट्रिक्ट,स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा,झांझ लेक ,सेंध लेक तथा सभी प्रमुख शासकीय विभागों के मुख्यालय स्थित हैं। शीघ्र ही यहाँ मुख्यमंत्री निवास पूर्ण हो जायेगा साथ ही नया राजभवन ,मंत्रियों के आवास की भी शिफ्टिंग की जाएगी। सभी अधिकारीयों एवं कर्मचारियों के आवास का निर्माण पहले ही पूर्ण किया जा चुका है। नवा रायपुर की सुरक्षा एवं अन्य मुलभुत आवश्यकताओं की देखरेख इंटीग्रेटेड कमांड सेंटर से की जाती है जो इससे एक स्मार्ट सिटी बनता है। रायपुर से रेल संपर्क स्थापित करने नई रेल लाइन एवं स्टेशन का निर्माण कार्य प्रगति पर है।नवा रायपुर के रेलवे स्टेशन का निर्माण मेट्रो स्टेशन की तरह आधुनिक एवं सर्वसुविधायुक्त बनाया जा रहा है।प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी इस शहर के अधोसंरचना की प्रशंसा कई बार कर चुके हैं।नवा रायपुर के जंगल सफारी में उनके द्वारा टाइगर की फोटो खींची गई थी जो काफी चर्चित रही।
२.रायपुर :
वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी होने का गौरव इस शहर को प्राप्त है। रायपुर प्रदेश का सबसे बड़ा शहर है। रायपुर खारुन नदी के तट पर बसा एक प्राचीन शहर है। इस शहर का निर्माण १४वीं शताब्दी में यहाँ के कलचुरी शासक रामचन्द्रदेव के द्वारा किया गया था। रायपुर शहर का नामकरण ब्रह्मदेवराय के नाम पर किया गया था जो रामचन्द्रदेव के पुत्र थे। अंग्रेजी शासन काल में रायपुर को छत्तीसगढ़ की राजधानी बनाया गया था। रायपुर के पहले छत्तीसगढ़ की राजधानी रतनपुर हुआ करती थी। वर्ष १८६१ में मध्यप्रांत का गठन किया गया था तथा १८६२ में छत्तीसगढ़ को एक संभाग बनाया गया था जिसमे ३ जिले बनाये गए थे। वर्ष १८६२ से रायपुर जिला बना। वर्ष २००० में छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद से ही रायपुर को प्रदेश की राजधानी बनाया गया। आबादी के हिसाब से यह प्रदेश का सबसे बड़ा शहर तथा सबसे बड़ा व्यापारिक केंद्र भी है। राजधानी होने के कारण प्रदेश का प्रमुख राजनीतिक केंद्रबिंदु है।
हाल ही में स्वच्छता सर्वेक्षण -२०२३ में रायपुर को देश में ११ वां स्थान मिला है। रायपुर की अन्य पहचान -बूढ़ा तालाब, घडी चौक, तेलीबांधा तालाब , महामाया मंदिर, दूधाधारी मठ, रायपुर नगर निगम मुख्यालय का व्हाइट हाउस , इंडोर स्टेडियम तथा अंतर्राज्यीय बस स्टैंड।
३.दुर्ग-भिलाई :
दुर्ग शहर शिवनाथ नदी के तट पर बसा एक प्राचीन शहर है। दुर्ग जिला छत्तीसगढ़ में औद्योगिक विकास का अग्रदूत है।भिलाई इस्पात संयंत्र की स्थापना के बाद शहर में छत्तीसगढ़ का सबसे महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र बन गया है वर्ष १९०६ में दुर्ग जिले का गठन हुआ था। रायपुर के बाद दुर्ग शहर छत्तीसगढ़ का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। दुर्ग-भिलाई को एक जुड़वाँ शहर के रुप में जाना जाता है। भिलाई में स्टील प्लांट की स्थापना वर्ष १९५९ में की गई थी। दुर्ग तथा भिलाई के बीच की दूरी २० से ३० किलोमीटर है। दुर्ग जंक्शन एक बहुत बड़ा रेलवे जंक्शन हैं जो भारत के सभी बड़े शहरों से सीधे जुड़ा हुआ हैं।प्रदेश में औद्योगिक तथा शैक्षणिक केंद्र के रुप में दुर्ग-भिलाई की विशिष्ट पहचान है। दुर्ग शहर में कई निजी शैक्षणिक संस्थान हैं, जो प्रदेश में अद्रितीय हैं। यहां बहुत सारे कोचिंग संस्थान हैं , जहां अन्य जिलो एवं शहरों से बच्चे पढ़ने आते हैं। दुर्ग-भिलाई में देश के विभिन्न क्षेत्रों से लोगों के आकर बसे होने के कारण यहाँ की संस्कृति मिलीजुली है अतः इसे “लघु भारत” भी कहा जाता है। दुर्ग-भिलाई की अन्य पहचान : मैत्री गार्डन,आईआईटी भिलाई।
(SCR) स्टेट कैपिटल रीजन की विशेषता :
इस योजना में शामिल चारों शहर राष्ट्रिय राजमार्ग क्रमांक-५३ के दोनों ओर बसा हुआ है साथ ही मुंबई-हावड़ा रेल लाइन भी इस क्षेत्र के मध्य से होकर गुजरती है। यह क्षेत्र छतीसगढ़ के मध्य भाग में स्थित है तथा मैदानी भाग में स्थित होने के कारण घनी आबादी वाला क्षेत्र है।आसपास औद्योगिक क्षेत्र होने के कारण व्यापार एवं वाणिज्य का भी केंद्र है।स्टेट कैपिटल रीजन के पुरे क्षेत्र को मिलाकर देखें तो यह प्रदेश का सबसे ज्यादा आबादी वाला क्षेत्र होगा। नवा रायपुर तथा दुर्ग भिलाई के बीच की दूरी ६० से ७० किलोमीटर होगी। मंत्रालय,विधानसभा,मुख्यमंत्री आवास,राजभवन सहित मंत्रियों एवं अधिकारीयों के आवास स्थानांतरित होने से नवा रायपुर आबाद होगा तथा अधूरे प्रोजेक्ट शीघ्र पुरे होंगे। जिससे रायपुर पर यातायात का दबाव काम होगा।
(SCR) स्टेट कैपिटल रीजन से होने वाला लाभ:
एससीआर बनने से आधारभूत सुविधाओं में भी वृद्धि होगी तथा सम्पूर्ण क्षेत्र का विकास होगा।
१.बेहतर कनेक्टिविटी : एससीआर ३ प्रमुख राष्ट्रिय राजमार्ग NH -५३, NH -३० तथा NH -२०० और ४ राजकीय मार्गों से सीधे जुड़ेगा। नवा रायपुर और दुर्ग-भिलाई सीधे जुड़ेंगे। रायपुर में स्थित हवाई अड्डे से सीधे जुड़ने से दुर्ग भिलाई को लाभ होगा।
२.रोजगार के अवसरों में वृद्धि : रायपुर और दुर्ग-भिलाई प्रमुख औद्योगिक तथा शैक्षणिक केंद्र होने के कारण लगभग ३० से ५० हज़ार लोगों की आवाजाही प्रतिदिन होती है। एससीआर से ६ लाख नए रोजगार के अवसर पैदा होने का अनुमान व्यक्त किया गया है।
३. लाइट मेट्रो योजना: नवा रायपुर -रायपुर -भिलाई -दुर्ग -राजनांदगाव के बीच लाइट मेट्रो का संचालन करने डीएमआरसी द्वारा प्राथमिक सर्वे पूरा कर लिया गया है तथा भविष्य की बढ़ती आबादी को देखते हुए इस मार्ग को लाइट मेट्रो के लिए उपुक्त पाया गया है। राज्य सरकार द्वारा पीपीपी मोड पर इसका संचालन करने रुस तथा जापान की कंपनियों के साथ एम ओ यू किया गया है। पूरे प्रोजेक्ट की लागत ४०० करोड़ है। प्रथम चरण में रायपुर से दुर्ग-भिलाई के बीच तथा दूसरे चरण में नवा रायपुर तथा राजनांदगाव को जोड़ने की योजना एस सी आर के लिए अवश्य ही लाभदायक होगी।
४.नवा रायपुर का लाभ: नवा रायपुर के आधुनिक अधोसंरचना का लाभ दुर्ग -भिलाई को होगा। भविष्य में नवा रायपुर नई राजधानी क्षेत्र होगा तथा राजनीतिक केंद्र होगा। अतः दुर्ग -भिलाई को नवा रायपुर से सीधे जोड़ना दोनों शहरों के लिए लाभदायक होगा।
५. भारत माला परियोजना का लाभ : इस परियोजना के द्वारा रायपुर तथा दुर्ग के बीच ६ लेन बाईपास का निर्माण किया जा रहा है जिससे दुर्ग भिलाई सीधे नवा रायपुर से जुड़ जायेंगे। एक अन्य परियोजना में रायपुर से विशाखापत्तनम के बीच ४ लेन सड़क का निर्माण किया जा रहा है। यह नवीन सड़क छत्तीसगढ़ को सीधे आध्रप्रदेश से जोड़ेगा। यह राजमार्ग ओडिशा से होकर जायेगा। विशाखापत्तनम से सीधे जुड़ने से बंदरगाह का लाभ छत्तीसगढ़ को मिलने लगेगा। इस परियोजना का उद्देश्य रायपुर को लॉजिस्टिक हब के रुप में विकसित करना है।
६. व्यापार-वाणिज्य को बढ़ावा: नवा रायपुर में बन रहे सीबीडी, जेम्स एंड ज्वेलरी पार्क,होलसेल मार्केट तथा इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर से इस क्षेत्र में व्यापार -वाणिज्य को बढ़ावा मिलेगा।
७. औद्योगीकरण को बढ़ावा: व्यापारिक गतिविधियों में वृद्धि तथा अधोसंरचना के विकास से क्षेत्र में औद्योगिक संरचना को लाभ मिलेगा साथ पूर्व स्थापित केंद्रों को नए व्यापार केंद्रों से जुड़ने का अवसर मिलेगा।
८. एकीकृत,समन्वित तथा संतुलित विकास का लाभ :इस योजना से आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों को भी लाभ होगा। इस क्षेत्र में तीव्र शहरीकरण होगा।अधोसंरचना के विकास से लोगों का जीवन स्तर सुधरेगा । ग्रेटर रायपुर जैसी योजनाओं में आसपास के ८ तहसील २३ छोटे शहर तथा ९०० गावों को जोड़ने की योजना है।
एससीआर में शामिल शहरों के समक्ष चुनौतियाँ :
१. रायपुर की घनी आबादी को व्यवस्थित करना एक बड़ी चुनौती होगी। राज्य का सबसे अधिक आबादी वाला शहर होने के कारण रायपुर में दिनों दिन भीड़ में बढ़ोतरी हो रही है। एससीआर बनने के बाद आबादी में और तेजी से वृद्धि होगी जिनका नियोजन करना आवश्यक होगा। रायपुर शहर की वर्तमान अधोसंरचना इसके लिए उपयुक्त नहीं है। अतः यहाँ की अधोसंरचना को भविष्य के हिसाब से तेजी से विकसित करना होगा। यही हाल दुर्ग शहर का भी है। केवल नवा रायपुर और भिलाई ही योजनाबद्ध तरीके से बसाया गया है।
२. यातायात की समस्या : रायपुर और दुर्ग की सड़कें भिलाई व् नवा रायपुर की अपेक्षा कम चौड़ी हैं। इसलिए यहाँ यातायात का दबाव हमेशा बना रहता है। दुर्ग -भिलाई तथा रायपुर के बीच हज़ारों लोग रोजाना आवाजाही करते है,इस वजह से भी रायपुर और दुर्ग -भिलाई के बीच सड़कें हमेशा भरी रहती हैं। ऑफिस और स्कूल टाइमिंग में यातायात पर सर्वाधिक दबाव रहता है।
३. प्रदूषण की समस्या: एस सी आर क्षेत्र में आसपास औद्योगिक केंद्रों के स्थापित होने के कारण इस क्षेत्र में प्रदूषण की समस्या बनी रहती है। रायपुर के पास में सिलतरा, भनपुरी , उरला जैसे औद्योगिक केंद्र तथा दुर्ग -भिलाई के नज़दीक भिलाई स्टील प्लांट ,बोरई औद्योगिक क्षेत्र होने के कारण प्रदूषण का स्तर उच्च होता है। औद्योगिक केंद्रों के समीप बने घरों में कारखानों से निकलने वाले काले धुंए की परत जमी हुई देखी जा सकती है।
४. ड्रेनेज की समस्या: प्रदेश का सबसे बड़ा शहर व् राजधानी होने के बाद भी रायपुर में अंडरग्राउंड ड्रेनेज की व्यवस्था नहीं है यहीहै अन्य क्षेत्रो का भी है। केवल नवा रायपुर में ही आधुनिक ड्रेनेज सिस्टम बना हुआ है।
५. पेयजल की समस्या : रायपुर के खारुन नदी के तट पर बसे होने के बाद भी पेयजल की समस्या बनी रहती है। गर्मियों के दिन में राजधानी वासियों को टैंकर का सहारा लेना पड़ता है। नवा रायपुर में पेयजल की आपूर्ति महानदी पर बने एनीकट के द्वारा होती है। यही स्थिति दुर्ग भिलाई में भी रहती है।
६.यातायात के साधनों की कमी: कोरोना काल के बाद से कई पैसेंजर ट्रेनों को निरस्त कर दिया गया है ,जिससे दुर्ग-भिलाई से रायपुर के बीच आवाजाही करने वाले लोगों को आवागमन हेतु अन्य साधनों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। इससे सड़क पर यातायात का दबाव बढ़ गया
है। हाल में कुम्हारी में बन रहे फ्लाईओवर के लोड टेस्ट के कारण बंद होने से दोनों ओर लम्बा जाम लग गया था।
७. नवा रायपुर का वीरान होना: सभी आधुनिक सुविधाओं के उपलब्ध होने के बाद भी नवा रायपुर में लोगों की बसाहट नहीं हो पाई है। केवल कुछ ही सेक्टर्स में लोग रह रहे हैं। इसका मुख्य कारण रायपुर शहर से नवा रायपुर के बीच की दुरी है। रायपुर से नवा रायपुर के बीच की दुरी २० किलोमीटर है। मुख्यमंत्री निवास के पूर्ण होने के बाद ,मुख्यमंत्री नवा रायपुर में रहने जायेंगे तब ही नवा रायपुर शहर तेजी से आबाद होगा |