हममें से हर कोई उस जगह से प्यार करता है जहां से हम आते हैं। हम भारतीय कहते हैं “सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा”। क्या इसका मतलब यह है कि हम सर्वश्रेष्ठ हैं? हम ऐसा क्यों कहते हैं? जवाब बहुत आसान है। हम भारत से प्यार करते हैं, हमें गर्व है कि हम भारतीय हैं। वैसे ही छत्तीसगढ़ के लोग अपने राज्य से प्यार करते हैं। जब वे कहते हैं कि “छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया”, तो उनका मतलब है कि उन्हें गर्व है कि वे छत्तीसगढ़िया हैं। यह कहने का एक और तरीका है कि वे अपनी मातृभूमि, अपनी संस्कृति से प्यार करते हैं।इस तरह के नारे देश के अलग अलग क्षेत्रों में भी प्रचलित हैं।यह नारे क्षेत्रीयवाद की भावना को ध्यान में रखकर गढ़े जाते हैं।इसमें लोगों की भावनाएं परिलक्षित होती हैं तथा अपने अस्तित्ववाद से भी जुड़ी होती हैं। “छत्तीसगढिया सबले बढ़िया” के नारे को छत्तीसगढ़ी अस्मिता से भी जोड़कर देखा जाता है। यह एक सकारात्मक नारा है जो छत्तीसगढ़ के लोगों में श्रेष्ठता की भावना को जगाता है।
जैसे पिछली सरकार में एक नारा प्रचलित हुआ था “छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी -नरवा-गरवा-घुरवा-बारी,एला बचाना हे संगवारी”। यह छत्तीसगढ़ शासन की फ्लैगशिप योजना सुराजी ग्राम योजना के लिए बनाया गया था। इसी तरह “गढ़बो नवा छत्तीसगढ़” को छत्तीसगढ़ शासन का ध्येय वाक्य बनाया गया था।
छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया के पक्ष में दिया जाने वाला तर्क
छत्तीसगढ़ का सामाजिक परिदृश्य – छत्तीसगढ़ में प्रमुख धर्म हिन्दू धर्म है परन्तु यहाँ मुस्लिम, ईसाई और अन्य धर्मों के लोग सदभावना पूर्वक रहते हैं। यहाँ सभी धर्म ,जाति और संप्रदाय के लोग मिलजुलकर रहते हैं। छत्तीसगढ़ सतनाम पंथ के प्रवर्तक बाबा गुरु घासीदास जी की जन्मस्थली है। यहाँ कबीर पंथ के अनुयायी भी बड़ी संख्या में हैं। छत्तीसगढ़ के लोग सरल-सहज ,मिलनसार,ईमानदार और मेहनती होते हैं। छत्तीसगढ़ को शांति का टापु कहा जाता है क्योंकि यहाँ अन्य प्रदेशो की तरह सामाजिक संघर्ष नहीं दिखाई देता। छत्तीसगढ़ के वासी शांतिप्रिय होते हैं।
१.छत्तीसगढ़ का खान पान – छत्तीसगढ़ के लोगों की तरह ही इनका खानपान भी सरल होता है। मुख्य भोजन चांवल तथा उससे बने व्यंजन होते हैं। “बोरे बासी” यहाँ का प्रसिद्ध एवं पौष्टिक भोजन है। नाश्ते में चीला,अंगाकर रोटी, फरा आदि बनाया जाता है। त्यौहारों पर विशेष पकवान बरा ,भजिया ,चौसेला , ठेठरी ,खुरमी ,पपची आदि बनाया जाता है।
२.छत्तीसगढ़ के तीज त्यौहार -कृषि प्रधान राज्य होने के कारण यहाँ के पर्व व् तीज त्यौहार भी कृषि प्रधान होते हैं। हरेली ,पोला ,छेरछेरा प्रमुख कृषि प्रधान पर्व है। तीजा यहाँ का मुख्य त्यौहार है जिसे महिलाओं के द्वारा निर्जला व्रत रखकर मनाया जाता है।
३.लोकसंस्कृति -छत्तीसगढ़ कि लोकसंस्कृति समृद्ध एवं अद्वितीय है। यहाँ के लोक पर्व ,लोकगीत ,लोककथा ,लोकनृत्य ,लोकनाट्य तथा लोक आभूषण अद्वितीय एवं अनोखे हैं। पंडवानी लोकनाट्य देश विदेश में प्रसिद्ध है।
२.”धान का कटोरा छत्तीसगढ़”- छत्तीसगढ़ की भौगोलिक स्थिति के कारण धान मुख्य फसल के रुप में उगाई जाती है। यहाँ धान की २३००० से भी अधिक किस्म पाई जाती है।छत्तीसगढ़ के मैदानी क्षेत्र की आकृति कटोरे के समान है जहाँ मुख्यतः धान उगाया जाता है। यहाँ की संस्कृति पूरी तरह चांवल पर ही आधारित है।छत्तीसगढ के “जीरा फूल” ,”नगरी दुबराज” को जीआई टैग मिल चुका है।
३.मत्स्य पालन-भूआवेष्ठित राज्य होने के बावजूद मत्स्य पालन में छत्तीसगढ़ देश में ५वें स्थान पर है। यहाँ कुल जल क्षेत्र के ९५ % क्षेत्र में मछली पालन किया जाता है।
४.छत्तीसगढ़ का ४४% भाग वनाच्छादित है। वन क्षेत्रफल के मामले में छत्तीसगढ़ देश में ४थे स्थान पर है। यहाँ के साल ,सागौन के वैन सर्वोत्तम गुणवत्ता के हैं।
५.छत्तीसगढ़ में वनों की अधिकता के कारण यहाँ ३ राष्ट्रिय उद्यान ,४ टाइगर रिज़र्व ,११ वन्यजीव अभ्यारण्य हैं। यहाँ के वनों में बाघ ,तेंदुआ ,सांभर ,चीतल ,मोर ,भालु,वनभैंसे आदि वन्यजीव पाए जाते है। सफ़ेद भालु ,माउस डिअर और काला तेंदुआ जैसे दुर्लभ वन्य जीव छत्तीसगढ़ के वन्य जीवन को विशिष्टता प्रदान करते हैं।
६.छत्तीसगढ़ की धरती में प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता है। छत्तीसगढ़ खनिज सम्पदा की दृष्टि से समृद्ध राज्य कहा जाता है। यह देश का एकमात्र टिन उत्पादक राज्य है। बैलाडीला के खदान में सर्वोत्तम किस्म का लौह अयस्क पाया जाता है। साथ ही छत्तीसगढ़ प्रमुख कोयला उत्पादक राज्य है। इसके अतिरिक्त यहाँ बाक्साइट,डोलोमाइट,चूना पत्थर ,कोरंडम ,सोना ,हीरा,ग्रेनाइट,अलेक्ज़ेंडराइट,अभ्रक ,मैंगनीज़, यूरेनियम जैसे खनिज पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।
७.वर्ष २००८ से छत्तीसगढ़ “जीरो पावर कट” वाला राज्य है। राज्य में सरप्लस बिजली की उपलब्धता के कारण दूसरे राज्यों को बिजली बेचा जाता है। गोवा,गुजरात ,तेलंगाना ,महाराष्ट्र जैसे राज्य छत्तीसगढ़ की बिजली से रोशन होते हैं। इसलिए इसे देश का “पावर हब” भी कहा जाता है।
८.सेल(भिलाई इस्पात संयंत्र),एनटीपीसी,कोल इंडिया (एसइसीएल),एनएमडीसी, भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड जैसे राष्ट्रिय महत्व के संस्थान छत्तीसगढ़ के औद्योगिक विकास के पहिए हैं।
९.जनजाति संस्कृति – छत्तीसगढ़ जनजाति बाहुल्य राज्य है। जनगणना -२०११ के अनुसार यहाँ की कुल जनसँख्या में ३०.६२% जनसँख्या जनजातियों की है।बस्तर को जनजातियों की भूमि कहा जाता है। जनजातियों की विशिष्ट संस्कृति के कारण छत्तीसगढ़ एक विशेष राज्य है।
१०.छत्तीसगढ़ देश में सर्वाधिक लिंगानुपात वाले राज्यों में ५ वें स्थान पर है।जनगणना -२०११ के अनुसार छत्तीसगढ़ का लिंगानुपात ९९१ है।
छत्तीसगढ़ में लिंगानुपात अधिक होने में जनजातियों का विशेष योगदान है।
११.रायपुर तथा नया रायपुर देश के ऐसे एकलौते शहर हैं जहाँ राष्ट्रिय प्रोद्योगिकी संस्थान,ट्रिपल आईटी,एम्स तथा आईआईएम जैसे संस्थान एक ही शहर में स्थित हो। यह छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का विषय है।
१२.बिलासपुर स्थित छत्तीसगढ़ का उच्च न्यायालय का परिसर एशिया में सबसे बड़ा है।
१३.दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे का जोन कार्यालय देश में सर्वाधिक कमाई वाला रेलवे जोन है।
१४.यहाँ क़ुतुब मीनार से भी ऊँचा जैतखाम है जिसकी ऊंचाई ७७ मीटर है।यह गिरौदपुरी में स्थित है जो सतनामी पंथ के प्रवर्तक बाबा गुरु घासीदास की जन्मस्थली है।
१५.छत्तीसगढ़ को प्रभु श्री राम का ननिहाल माना जाता है। माता कौशल्या का जन्म छत्तीसगढ़ में हुआ था। इसलिए यहाँ के लोगों में प्रभु श्री राम के प्रति अनन्य आस्था है।
१६.वनवास काल में प्रभु श्री राम ने कुछ समय छत्तीसगढ़ में व्यतीत किया था। शिवरीनारायण नामक स्थान पर माता शबरी ने प्रभु श्री राम को जूठे बेर खिलाये थे।
१७.बस्तर के चित्रकोट जलप्रपात को “भारत का नियाग्रा” जलप्रपात कहा जाता है। इसका आकार घोड़े के नाल के समान है। इस जलप्रपात के पानी का रंग हर मौसम में अलग अलग रहता है।
१८.पर्यटन की दृष्टि से बस्तर को भारत का स्वर्ग माना जाता है। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों का मन मोह लेती है। कांगेर घाटी राष्ट्रिय उद्यान ,इंद्रावती राष्ट्रिय उद्यान ,कुटुमसर गुफा, सातधारा जलप्रपात ,तीरथगढ़ जलप्रपात ,केशकाल की घाटी , भैंसादरहा का मगरमच्छ संरक्षण केंद्र ,बारसूर के मंदिर ,ढोलकल पहाड़ ,दंतेवाड़ा का दंतेश्वरी मंदिर आदि अनगिनत स्थान हैं जो बस्तर को खूबसूरत बनाते हैं।
१९.जशपुर में एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च है। जशपुर जिले के तपकरा को नागलोक भी कहा जाता है जहाँ सांप उन्मुक्त होकर विचरण करते हैं।
२०. भंगाराम जात्रा नामक मेले में बस्तर के आदिवासियों द्वारा अपने देवी देवताओं पर मुकदमा किया जाता है एवं उन्हें सजा सुनाई जाती है। यह सम्पूर्ण विश्व में एक अनोखी घटना होती है।