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नए साल की शानदार शुरुआत के साथ ही भविष्य के लिए योजनाएं बनाना भी शुरू हो जाता है। आने वाले साल में क्या बेहतर करना है, इसके लिए योजनाएं बनाई जाती हैं और जीवन में कुछ बदलावों को अपनाने के लिए तैयार होना पड़ता है। यदि ऐसा ही संकल्प हम अपने राज्य के लिए भी लें तो हमें छत्तीसगढ़ के समक्ष कुछ चुनौतियों से पार पाना होगा।
नए वर्ष का आगमन हो चुका है साथ ही छत्तीसगढ़ में नए सरकार का गठन भी चुका है। नए वर्ष में मंत्रियों ने अपना कार्यभार ग्रहण कर लिया है। अब नई ऊर्जा और उत्साह के साथ प्रदेश का विकास करने का समय आ चुका है । नये वर्ष में कुछ समस्याएं चुनौती के रुप में हमारे सामने खड़ी हैं। ये चुनौतियाँ बरसों से विद्यमान हैं जिनका हल आज तक नहीं हो पाया है। इनका समाधान किये बिना हम विकसित राज्य का सपना साकार नहीं कर सकते। यदि डबल इंजिन की सरकार नए वर्ष पर संकल्प ले तो इन समस्यायों का स्थायी समाधान निकाला जा सकता है।
२०२४ में ५ छत्तीसगढ़ के समक्ष चुनौतीयाँ –
१ . छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद एक चुनौती:
वर्तमान में प्रदेश की नई सरकार के सामने सबसे बड़ी समस्या नक्सलवाद ही है। हाल में नक्सल घटनाओं में वृद्धि हुई है। प्रदेश सरकार ने पुलिस प्रशाशन को सख्ती से निपटने के निर्देश दिए हैं।
१९७० के दशक में प्रारम्भ हुई नक्सल समस्या आज देश व् प्रदेश की सबसे बड़ी आंतरिक समस्या है। छत्तीसगढ़ देश के रेड कॉरिडोर में स्थित होने के कारण नक्सल प्रभवित राज्य है। केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ के १४ जिले नक्सल प्रभावित हैं। प्रदेश का दक्षिणी भूभाग सर्वाधिक प्रभवित क्षेत्र होने के कारण बस्तर संभाग आज भी विकास की मुख्य धारा से कटा हुआ है। बस्तर का अबूझमाड़ क्षेत्र आज भी अबूझ पहेली बना हुआ है। जल-जंगल-जमीन की लड़ाई में निरीह आदिवासी पिस रहे हैं।बीते कुछ वर्षों में केंद्र व् राज्य सरकार ने मिलकर सुरक्षा -विश्वाश-विकास की त्रिवेणी नीति पर कार्य करते हुए समाधान का प्रयास किया है परन्तु पूरी तरह से इस समस्या पर अंकुश नहीं लगाया जा सका है।
हाल ही में केंद्र सरकार ने केंद्रीय सशस्त्र सीमा सुरक्षा बलों की तैनाती में वृद्धि करने का निर्णय लिया है, जिससे सुरक्षा तंत्र को मज़बूती मिले। राज्य सरकार आत्मसमर्पण नीति के साथ ही विकास कार्यों को प्राथमिकता के आधार पर पूरा कर रही है। वनवासियों को वन अधिकार पत्र प्रदान किया जा रहा है साथ ही आदिवासियों को उनके संस्कृति तथा जीवन की सुरक्षा हेतु विकास कार्यों की रुपरेखा तय की जा रही है।
केंद्र सरकार ने भी अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने कहा है की “बहुत जल्द हम नक्सल समस्या पर पूरी तरह अंकुश लगा देंगे”
२. छत्तीसगढ़ में अधोसंरचना (Infrastructure) दूसरी चुनौती:
छत्तीसगढ़ राज्य क्षेत्रफल के अनुसार देश के शीर्ष १० राज्यों में गिना जाता है परन्तु अधोसंरचना के मामले में काफी पिछड़ा हुआ राज्य माना जाता है। यह देश के ह्रदय स्थल में स्थित होने के कारण एक भू -आवेष्ठित राज्य है।
राज्य में अधोसंरचना का विकास आंशिक रुप से केवल मैदानी भाग में हुआ है। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे का जोनल कार्यालय है। यह महत्वपूर्ण रेलमार्ग मुंबई -हावड़ा पर स्थित है तथा सर्वाधिक माल परिवहन करने वाला जोन है। परन्तु कमाई के अनुपात में रेलमार्ग का विकास नहीं हुआ है।यात्री परिवहन सुविधाओं में राज्य काफी पिछड़ा हुआ है। ऐसा प्रतीत होता है मानो यहाँ रेलवे का विकास केवल माल परिवहन के लिए हुआ है। रेलमार्ग की सघनता राज्य में काफी कम है। इसका असर सड़क परिवहन पर साफ़ दिखाई देता है। रेलमार्ग की सघनता कम होने के कारण प्रदेश खुदरा वस्तुओं की धुलाई में अधिक लागत आती है। राज्य में एक भी अंतर्राष्ट्रीय दर्जा प्राप्त हवाई अड्डा नहीं है। केवल राजधानी रायपुर से ही देश के प्रमुख शहरों के लिए ही नियमित उड़ान संचालित है। बिलासपुर और जगदलपुर हवाईअड्डा नवीन संचालित हैं यहाँ भी कुछ ही शहरों के लिए उड़ान संचालित हैं।
छत्तीसगढ़ देश का सरप्लस पावर वाला राज्य है परन्तु यहाँ सिंचाई क्षमता अब भी सीमित है। आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार राज्य की सिंचाई क्षमता ३५% से भी कम है। कृषि प्रधान राज्य के लिए यह किसी पीड़ा से कम नहीं है। सभी प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण होते हुए भी इसका सदुपयोग राज्य के लिए नहीं हो पा रहा है। अधोसंरचना का विकास न हो पाने के कारण राज्य तेजी से विकास नहीं कर पा रहा है।
३. छत्तीसगढ़ में पलायन तीसरी चुनौती:
छत्तीसगढ़ देश के सबसे गरीब राज्यों में गिना जाता है। देश शीर्ष १० गरीब राज्यों में छत्तीसगढ़ भी शामिल है। नीति आयोग की बहुआयामी गरीबी सूचकांक के अनुसार छत्तीसगढ़ में ग्रामीण क्षेत्र में १९.७१ % तथा शहरी क्षेत्र में ४.५९ % गरीबी व्याप्त है। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार राज्य में प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2021-22 के त्वरित अनुमान के मुताबिक 1,20,704 रुपए से बढ़कर वर्ष 2022-2023 में 1,33,898 रुपए हो जाने की संभावना है।
राज्य में लगभग ३ करोड़ जनसँख्या में यह निम्न आय श्रेणी वाला राज्य है। राज्य में गरीबी का प्रमुख कारण कृषि आधारित अर्थव्यवस्था है। कृषि भी मुख्यतः मानसून पर निर्भर है। कृषि कार्य समाप्त हो जाने के बाद खेतिहर मज़दूर काम की तलाश में अन्य राज्यों में पलायन कर जाते हैं। कई बार मज़दूरों को बंधक बनाकर काम कराया जाता है। कोरोना काल में मज़दूरों की पैदल घरवापसी की त्रासदी को देश कभी भुला नहीं सकता। मज़दूरों का शारीरिक व् मानसिक शोषण रोकने पलायन को समाप्त करना अनिवार्य है। साथ ही अंचल में ही उनके रोजगार की व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए।
४. छत्तीसगढ़ में औद्योगिक विकास चौथी चुनौती:
छत्तीसगढ़ को प्रकृति ने अमूल्य उपहार प्रदान किये हैं। जल खनिज वन विशाल भूभाग समृद्ध संस्कृति सब कुछ छत्तीसगढ़ की झोली में है। छत्तीसगढ़ की जीवनदायनी महानदी हो या मांड नदी का कोयला हो या बैलाडीला का सर्वोत्तम किस्म का लौह अयस्क हो या अबूझमाड़ का जंगल हो या आदिवासी तथा लोक संस्कृति इन सबसे छत्तीसगढ़ की विशिष्ट पहचान है। सभी आवश्यक आधारभूत कच्चे माल की उपलब्धता होने के बावजूद छत्तीसगढ़ का औद्योगिक विकास पिछड़ा हुआ है। राज्य के मध्य भाग को छोड़ दें तो उत्तरी तथा दक्षिणी भाग में औद्योगिक विकास नगण्य है।
हाल के वर्षों में बस्तर में नगरनार लौह इस्पात संयंत्र का शुभारम्भ हुआ है जिससे बस्तर क्षेत्र की प्रगति को पंख लगा है। राज्य के सकल घरेलु उत्पाद में उद्योग क्षेत्र की हिस्सेदारी सर्वाधिक है परन्तु अपेक्षानुरूप औद्योगिक विकास नहीं हो पाया है। राज्य गठन के बाद कई औद्योगिक नीतियां बनाई गई परन्तु उन नीतियों का पर्याप्त लाभ नहीं मिल पाया। आने वाले समय में राज्य के पिछड़े जिलों में औद्योगिक विकास पर ध्यान देना होगा। जिससे राज्य का समन्वित विकास हो सके। साथ ही पर्यावरण का ख्याल रखते हुए नीतियां बनानी पड़ेंगी।
हसदो अरण्य का मामला अभी राज्य में गरमाया हुआ है । नई सरकार को औद्योगिक क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के साथ ही संतुलित व् समन्वित विकास को बढ़ावा देना होगा। निजी क्षेत्र को बढ़ावा देकर निवेश आकर्षित किया जा सकता है। जिस तरह वाइब्रेंट गुजरात सम्मलेन द्वारा गुजरात ने अपने अर्थव्यवस्था को गति दी उसी तरह छत्तीसगढ़ में भी निवेश आकर्षण को बढ़ावा देना होगा।
५. छत्तीसगढ़ में शराबबंदी पांचवीं चुनौती :
छत्तीसगढ़ में शराबबंदी एक बड़ा राजनीतिक एवं सामाजिक मुद्दा रहा है। हाल के चुनाव में शराबबंदी एक मुख्य चुनावी मुद्दा रहा।
पिछली सरकार ने अपने जन घोषणापत्र में छत्तीसगढ़ में पूर्ण शराबबंदी का वादा किया था परन्तु ५ वर्षों में इस पर अमल नहीं किया। इसका नुकसान महिला वोटर्स की नाराज़गी के रुप में उठाना पड़ा। वर्तमान भाजपा सरकार ने इस बार कोई चुनावी वादा नहीं किया है परन्तु उन पर नैतिक दबाव तो अवश्य होगा। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने ही शराब विक्रय का सरकारीकरण किया था।
आज शराब सरकार की राजस्व आय का प्रमुख स्रोत बन गया है। वित्तीय वर्ष २०२२-२०२३ के १० माह में ही सरकार ने ५५२५ करोड़ रूपये की राजस्व आय अर्जित कर ली है। साल दर साल आबकारी राजस्व में बढ़ोतरी हो रही है। नेशनल हेल्थ सर्वे 2022 की दिसंबर की रिपोर्ट बताती है कि आबादी के अनुपात में सर्वाधिक शराब पीने वाले राज्यों में छत्तीसगढ़ सबसे आगे है। यहां 35.6 प्रतिशत लोग शराब का सेवन करते हैं। 34.7 प्रतिशत के साथ त्रिपुरा दूसरे व 34.5 प्रतिशत के साथ आंध्र प्रदेश तीसरे स्थान पर है।
सरकारी संरक्षण में शराब बिक्री होने के कारण पिछली सरकार में शराब घोटाला एक चर्चित मुद्दा था। छत्तीसगढ़ शराब घोटाले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने विशेष पीएमएलए अदालत में अभियोजन शिकायत दर्ज की है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों, राजनेताओं और कुछ व्यक्तियों के एक आपराधिक सिंडिकेट ने लगभग 2,161 करोड़ रुपये बनाए और जेब में डाले। जो सरकारी खजाने में जाना चाहिए था।
- भारत के संविधान में राज्य का मौलिक कर्तव्य बताया गया है की वह लोक स्वास्थ्य का समुचित प्रबंध करे परन्तु यह दुर्भाग्य है की वही सरकारी तंत्र लोगों को शराब का सेवन करने प्रेरित कर रही है। छत्तीसगढ़ में शराब की खपत के साथ ही अपराध तथा दुर्घटनाओं में वृद्धि दर्ज़ की गई है। शराब के दुष्परिणाम को जानते हुए भी सरकार द्वारा कारोबार किया जाना अनैतिक एवं निंदनीय कृत्य है। सरकार को शराब कारोबार से दुरी बनाकर लोगों को नशामुक्ति के लिए प्रेरित करना चाहिए। यही सही मायनों में लोककर्तव्य होगा।
- आने वाले वर्ष में हम छत्तीसगढ़ निर्माण के रजत जयंती वर्ष में प्रवेश करेंगे उसके पूर्व ही हम विकसित एवं समृद्ध छत्तीसगढ़ की संकल्पना को साकार करना चाहेंगे। अतः हमें इन चुनौतियों से हर हाल में पार पाना होगा।